
आजकल पूरे देश की नजर Sambhal के ऊपर लगी हुई है ,जहां पर हर मस्जिद के नीचे से लोगों को मंदिर निकालने की आशा नजर आती है , और यह ऐसा फिल्मी ड्रामा बन गया हैकि यहां पर पुलिस भी फिल्मों की तरीके से काम कर रही है इस जगह पर भरपूर एक्शन देखने को मिल रहा है,बड़ी दिलचस्प की बात है कि हर एक छोटा बड़ा नेता,अपनी राजनीति को गर्म करने के लिए उसे (Sambhal) जगह पर जाकर हर तरीके से नारा और भड़काऊ भाषण दे रहा है और सारा का सारा भाषण मुसलमान के विरोध में जा रहा है जिससे प्रशासन को भी देखने में मजा आ रहा है,और सरकार को अपने चुनाव को बटोरनी में भी मजा आ रहा है |

पहले तो Sambhal के मुसलमान की मस्जिदों को तोड़ने का एक षड्यंत्र रचा गया फिर उसके बाद मुसलमान को ही पकड़ करके जेलों में बंद कर दिया गया और मुस्लिम घरों में घुस कर तोड़फोड़ और उनकी औरतों को डरा गया ,

जिससे कि Sambhal की मुस्लिम औरतें सारी डर चुके हैं और वहां के घरों के मर्दों को जेलों में बंद कर दिया गया है जिस घरों की मर्दों को जेलों में बंद कर दिया गया है वहां की औरतों के साथ पुलिस या प्रशासन कोई भी सपोर्ट नहीं कर रही है बल्कि उनके साथ कुछ भी हो सकता है क्योंकि Sambhal की पुलिस के साथ कुछ गुंडे भी मिले हुए है जो गंदी नियत रखते हैं,

अगर Sambhal की मुस्लिम औरतों के साथ कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा क्या प्रशासन इस चीज की जिम्मेदारी लेगी या पॉलिटिशियन इस चीज की जिम्मेदारी लेंगे | सबसे बड़े दुख की बात तो यह है कि Sambhal के गरीब मुसलमान के घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया गया जिनकी आमदनी बहुत ज्यादा नहीं है दिन के 200 या ₹500 कमाते हैं अब वह अपने घर को किस तरीके से बनेंगे उनके हालात क्या होंगे इस ठंडी में कहां बैठे होंगे किस तरीके से अपनी जिंदगी गुजर रहे होंगे लेकिन प्रशासन को तो और बड़े से बड़े नेताओं को अपना वोट बैंक बचाना है लेकिन उन
गरीबों के क्या होगा जिनके घरों को बेवजह बुलडोजर से तोड़ दिया गया यह किस कानून में आता है लोगों के घरों को उजाड़ देना उन लोगों को सड़कों पर लेकर के आना कौन सा संविधान का कानून है आजकल नेता कानून से नहीं चल रहे हैं और मुसलमान को कानून के दायरे में लाने की कोशिश कर रहे हैं यह कौन सी जिम्मेदारी से यह बातें कह रहे हैं बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इस देश की आजादी में सबसे बड़ा हाथ मुसलमान का है लेकिन आज ये देश ऐसे लोगों के हाथों में चला गया है जहां पर सिर्फ नफरत जन्म लेती है | प्रशासन ने मंदिर की खोज के लिए जमीन को खुदा मगर उसे जगह पर मंदिर की जगह मस्जिद बाहर निकली | जिस जामा मस्जिद को तोड़ने की बात की जा रही है वह जामा मस्जिद कोई 100-200 साल पुरानी नहीं है बल्कि सदियों पुरानी जिसकी बड़ी से बड़ी तारीख में जल्दी कोई कहानी नहीं मिली लेकिन संभाल के कुछ बुजुर्ग औरतों का कहना है यहां पर बहुत पहले कुछ अलग था | और मैं आपको यह भी बताता चला हूं सब की संभाल के कप्तान साहब इतने जोश में चल रहे हैं अगर उनके आगे कुछ भी हो जाए तो भी वह मुसलमान को नहीं छोड़ेंगे ऐसी कसमें खाते हुए हैं वह आगे बढ़ रहे हैं कि जैसे वह मुसलमान से कोई किसी दुश्मनी काबदला ले रहे |
[…] Sambhal में मुसलमान का हाल ! […]